इस लेख में हम Ponniyin Selvan PDF Download करने के बारे में बताएंगे परंतु Ponniyin Selvan Book को डाउनलोड करने से पहले आपको यह जानना जरूरी है कि पोंनियिन सेलवन कौन था,और Ponniyin Selvan real story क्या है? तथा इस कहानी को किस वंश के आधार पर लिखा गया है.पोंनियिन सेलवन से जुड़े सभी जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी और लेख के बिच में आपको हम एक लिंक देंगे जिसके माध्यम से आप Ponniyin Selvan Book Pdf Tamil में Download कर सकते हैं.

Ponniyin Selvan
पोंनियिन सेलवन एक उपन्यास है जिसको तमिल भाषा में कल्की कृष्णमूर्ति के द्वारा लिखा गया है. इस उपन्यास में कुल 2400 पृष्ठ हैं.इस उपन्यास को 5 भाग में लिखा गया है.यह उपन्यास दक्षिण भारत के तमिल इतिहास और पुराणों के आधार पर लिखा गया है
इस उपन्यास में तमिलनाडु के प्राचीन इतिहास,राजनीतिक और संस्कृति का वर्णन किया गया है.पोंनियिन सेलवन 20 वीं सदी का एक प्रसिद्ध तमिल भाषा का उपन्यास है जिसकी कहानी प्रेम, विश्वासघात, राजनीतिक और रहस्यमय है. आगे इस पोस्ट में हम जानेंगे Ponniyin Selvan Meaning क्या होता है?
Ponniyin Selvan Meaning
पोंनियिन सेलवन का अर्थ तमिल भाषा में पोन्नी का पुत्र होता है परंतु पोंनियिन सेल्वन का हिंदी भाषा में अर्थ कावेरी का पुत्र होता है क्योंकि कावेरी नदी को तमिल भाषा में पोन्नी के नाम से जाना जाता है.पोंनियिन सेल्वन राज राजा चोल को दी गई एक उपाधि है.
यह उपाधि एक कहानी के अनुसार मिला है जिसमें बताया गया है कि – जब राज राजा चोल कावेरी नदी में गिर गए तो उनको स्वयं कावेरी ने बचा लिया इसलिए राज राजा चोल को पोंनियिन सेल्वन की उपाधि मिली थी. अब इस लेख में नीचे Ponniyin Selvan Cast का नाम दिया गया है जो इस उपन्यास के मुख्य पात्र हैं.
Ponniyin Selvan Cast Name
पोन्नियिन सेल्वन नमक तमिल उपन्यास की कहानी तमिलनाडु के चोल वंश के राजनीतिक, प्रेम, विश्वासघात और रहस्य पर आधारित है. लेकिन इस उपन्यास का कोई वास्तविक चरित्र नहीं है परंतु इस उपन्यास की जो कहानी में पात्र सम्मिलित हैं उनके नाम निम्न है-
- आदित्य करिकाल
- नंदिनी
- वंगी
- परांज्योति मुनि
- वल्लावरीयान वन्दियादेवन
- अरुल्मोज्हिवर्मन
- सुन्दर चोल
- कुंदवई पिरात्तियर
- वनाठी
- अनिरुध ब्रह्मरायर
- पेरिया पज्हुवेत्तारैयर
- चिन्ना पज्हुवेत्तारैयर
- सुन्दर चोल
- मंधागिनी देवी
- सेम्बियन मा देवी
- कन्दमरण
- मनिमेकलाई
- रविदासन सोमण सम्भावन
- इदुम्बंकारी
- देवारालन
- सम्बुवारैयर
- पिनागापनी
- मुरुगैयन
- राकमाल
- करुथिरुमन
- कोदुम्बलुर विक्रम
- मज्हवारायर
- पर्थिबेन्धरा पल्लवन
- कुदंथई सोथिदर
- इसना सिवाबत्तर
- पून्कुज्हाली
- आज्ह्वारकड़ियां
#आदित्य करिकाल
आदित्य करिकाल तमिलनाडु के चोल वंश की एक प्रसिद्ध राजा थे जो चोल राजा परान्तक द्वितीय के पुत्र थे तथा चोल वंश के पांचवी राजा थे उनका शासन काल लगभग 871 से 907 ई. के बीच था.
यह राजा अपने शासनकाल में तमिलनाडु को एक विशिष्ट विविधता वाले समृद्ध सांस्कृतिक केंद्र बनाया था क्योंकि यह तमिल साहित्य, कला और संस्कृति के समर्थक थे। उन्होंने नागपट्टिनम में तमिल साहित्य, कला और धर्म के अध्ययन के लिए एक शिक्षा केंद्र स्थापित किया था।
#नंदिनी
नंदिनी एक राजकुमारी थी जो पोन्नियिन सेल्वन नामक उपन्यास में आदित्य करिकाल की पत्नी बनी है. बाकी और कोई जानकारी अच्छे से नहीं मिल पाई है.परंतु और अधिक जानकारी के लिए इस साइट को विजिट करते रहें.
#वंगी
वंगी चोल का वास्तविक नाम विजयालय था जिसने चोल वंश की स्थापना किया था.वंगी चोल 846 इसवी 871 इसवी सन तक शासन किया था जो चोल साम्राज्य के विस्तार के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसने अपने शासन काल में तमिलनाडु के अलावा श्रीलंका, मलय द्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के क्षेत्रों तक चोल वंश के साम्राज्य का विस्तार किया था
#परांज्योति मुनि
परांज्योति मुनि चोल वंश के शासनकाल के समय के महान तमिल धर्मगुरु थे जिन्होंने अपने जीवन काल में धर्म, योग, ज्योतिष और वास्तुशास्त्र से जुड़े विषयों पर अपने ज्ञान को लोगों को देते थे, परांज्योति मुनि की सबसे खास बात उनकी संस्कृति के प्रति विशेष रुचि है जिसके कारण उन्होंने अपने जीवन काल में कुछ महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे थे जिनके नाम नीचे दिए गए हैं –
- परांज्योति पद्धति
- तत्त्वार्थ संग्रह
- शाबर मन्त्र संग्रह
- योग पारिजात
- परब्रह्म सार संग्रह
- ज्ञान सार तन्त्र
#वल्लावरीयान वन्दियादेवन
वल्लावरीयान वन्दियादेवन चोल वंश का एक महान राजा था जो 9वीं शताब्दी के मध्य से 10वीं शताब्दी के शुरू तक चोल वंश के गद्दी पर बैठा था वन्दियादेवन का शासन तमिलनाडु के कई हिस्सों पर फैला था।
वल्लावरीयान वन्दियादेवन, पोंनियिन सेलवन उपन्यास का हीरो है जो एक निडर, भाग्यशाली, शरारती और एक नौजवान लड़का है.
यह शासक कोलंजी नदी के किनारे अपनी राजधानी स्थापित की थी जो वर्तमान दयार वाटिका के पास है।वन्दियादेवन कई भूमिहीन जनजातियों को अपने शासन के अंतर्गत लिया था। यह राजा चोल वंश के शासनकाल में कई महत्वपूर्ण विकास कार्यों को पूरा किया था जिसमें से कुछ नीचे दिए गए हैं –
- नदी बाँधों के निर्माण
- प्रशांत नदी के तटों पर पुल निर्माण
- तण्डवुर थिरुवटवुर रोड का निर्माण
- संगमेश्वर और बृहदीश्वर मन्दिरों का निर्माण
#अरुल्मोज्हिवर्मन
अरुल्मोज्हिवर्मन चोल वंश का आठवां राजा था जो पुलकेशिन द्वितीय का पुत्र और राजा राजदेव का भाई था. अरुल्मोज्हिवर्मन बाद में चोल सेना का प्रमुख सेनापति बन गया था
अरुल्मोज्हिवर्मन को, पोंनियिन सेलवन के नाम से उपन्यास में जाना जाता है जो बाद में आगे चलकर राज राजा के नाम से प्रसिद्ध होता है.
परंतु यह राजा के पद पर 10वीं से 11वीं शताब्दी के दौरान शासन चोल वंश में शासन किया था.इसने चोल की सेना को काफी समृद्धिसाली बनाया था जिसके परिणाम स्वरूप इन्होंने दक्षिण भारत के कई क्षेत्रों को जीत लिया था जो इस शासक के योग्यता को बताती है.
#सुन्दर चोल
सुन्दर चोल चोल वंश का एक शासक था जो 1012 ई0 से 1048 ई0 तक शासन किया था.वह राजा परांज्योति मुनि के पौत्र और राजा राजेन्द्र चोल का बेटा था जो अपने राज्य का मुख्यालय तंजावुर को बनाया था
सुन्दर चोल को उत्तर भारत के चंदेल राजा विजयपाल ने युद्ध में पराजित कर दिया था परन्तु बाद में सुंदर चोल ने विजयपाल हरा दिया था। इनको भी Ponniyin Selvan उपन्यास का पात्र बनाया गया है.
सुंदर चोल ने चोल साम्राज्य के क्षेत्र को बढ़ाने का प्रयास किया क्योंकि इनकी शासनकाल में चोल की सेना काफी शक्तिशाली हो गई थी और साथ ही इन्होंने नेपाल, सिंहल और इंडोनेशिया नामक देशों के साथ व्यापार करना शुरू कर दिया था.
#कुंदवई पिराट्टियर
कुंदवई पिराट्टियर चोल वंश की एक महिला शासक थीं जिन्होंने 13वीं सदी के अंत में और 14वीं सदी की शुरुआत तक चोल साम्राज्य में शासन की थी. कुंदवई, चोल वंश के राजा राजेन्द्र चोड़गंग की बहन थीं जो इनके संरक्षण में शासन करती थी.
कुंदवई चोल की स्थानीय राजधानी तंजावुर थीं. कुंदवई पिराट्टियरने चोल साम्राज्य को संघटित रखने में मदद की थी। उन्होंने चोल सम्राट राजा राजेन्द्र चोड़गंग के लिए उत्तरदायी रूप से काम करती थी जिनके सहायता के लिए ताकत का इस्तेमाल किया करती था।
#वनाठी
चोल वंश दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध वंश था जिसमे वनाठी नाम के राजा भी राज्य करते थे परन्तु इनका राज्य का क्षेत्र तंजावुर के पास था जिसके कारण इन्होंने तंजावुर को अपनी राजधानी बनाया था.वनाठी का मुख्य कार्य राज्य का प्रबंधन करना था.
वनाठी राजा का उल्लेख Ponniyin Selvan नामक उपन्यास में मिलता है.
#अनिरुध ब्रह्मरायर
चोल वंश में अनिरुध ब्रह्मरायर एक महान वैदिक ऋषि थे.वे वैदिक संस्कृति के विद्वान थे और उनका बहुत बड़ा योगदान वेदों, उपनिषदों, पुराणों और अन्य धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन और उनके व्याख्यान में था
अनिरुध ब्रह्मरायर ने चोल राज्य के राजाओं को धार्मिक ज्ञान और शास्त्रों का उपयोग सिखाया था.उन्होंने जीवन के उद्देश्य, मोक्ष, धर्म, कर्म और अन्य विषयों पर विस्तार से अध्ययन किया था
#पेरिया पज्हुवेत्तारैयर
तमिलनाडु के चोल वंश में पेरिया पज्हुवेत्तारैयर, राजेंद्र चोल का एक प्रसिद्ध मंत्री था. जिसने चोल सेना का निर्माण किया और उसे अधिक बलशाली बनाने में मदद किया था तथा इसने चोल साम्राज्य के विस्तार पश्चिम बंगाल और सुमात्र द्वीप तक फ़ैलाने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था.
#चिन्ना पज्हुवेत्तारैयर
चिन्ना पज्हुवेत्तारैयर चोल वंश के एक महान सेनानी थे.जो चोल वंश के राजा कुत्तुक्कोट्टं चोलन के शासनकाल में सेना प्रमुख के रूप में कार्य किया था. चिन्ना पज्हुवेत्तारैयर ने कई सफल युद्धों में भाग लिया था जिनसे चोल वंश की शक्ति को बढ़ावा मिला था उनके द्वारा चिंनम्बरम नामक स्थान पर एक महत्वपूर्ण मंदिर का निर्माण भी किया गया था
#मंधागिनी देवी
चोल वंश में मंधागिनी देवी राजा राजेन्द्र चोल की पत्नी थी जिसे राजमाता भी कहा जाता था जो राजा राजेन्द्र चोल के शिक्षक और मार्गदर्शक भी थीं
चोल वंश में मंधागिनी देवी राजा राजेन्द्र चोल की पत्नी थी जिसे राजमाता भी कहा जाता था जो राजा राजेन्द्र चोल के शिक्षक और मार्गदर्शक भी थीं
#सेम्बियन मा देवी
चोल वंश के इतिहास में सेम्बियन मा देवी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और धार्मिक व्यक्ति थीं. सेम्बियन मा देवी चोल वंश के राजा गांगाराज की पत्नी थीं
उन्होंने अपने पति के साथ चोल सम्राट राजेंद्र चोल की यात्राएं की और उनके धर्म और संस्कृति को बढ़ावा दिया सेम्बियन मा देवी ने चोल सम्राट के विशाल साम्राज्य के संचालन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
सेम्बियन मा देवी चोल वंश की एक प्रसिद्ध महिला थीं जिन्होंने अपने धर्म और संस्कृति को संरक्षित किया और उसे बढ़ावा दिया। वे एक विदुषी भी थीं जो कविताएं और संगीत बनाने में रुचि रखती थीं.
#कन्दमरण
चोल वंश में कन्दमरण को भी कन्दमरण चोल या वानरसेन चोल के नाम से जाना जाता है. वह चोल राज्य का एक प्रसिद्ध राजा था, जो 9वीं शताब्दी के दौरान शासन करता था जो कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों को अपने अधिन कर लिया था.
इनके समय में चोल राज्य की शक्ति बड़ी थी और उन्होंने व्यापक विस्तार का भी काम किया था. यह जानकरी कुछ अन्य स्रोत पर आधारित है जिसकी 100% सही होने का परिमाण नही है.
#मनिमेकलाई
मनिमेकलाई चोल वंश के एक प्रसिद्ध राजा थे जो परांतक चोल के पुत्र और विजयालय चोल के पोते थे. यह राजा वह 7वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में शासन करता था जिसने चोल साम्राज्य के राजकीय, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास में बहुत योगदान दिया था और साथ ही इन्होंने तमिलनाडु के बहुत से भागों को जीत कर चोल साम्राज्य में मिला लिया था.
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#रविदासन सोमण
रविदासन सोमण चोल वंश के एक शासक थे जिन्होंने 9वीं शताब्दी में चोल वंश की राजधानी तंजावुर (थांजावुर) में शासन किया था जो क्रिस्तवाड़े के राजा परंतुग के समय में शासन करते थे.
इन्होंने 10वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में चोल वंश के सम्राट राजेन्द्र चोल के सदानीका नंदिनी के साथ विवाह किया था. रविदासन सोमण को चोल वंश का एक सशक्त और समर्थ राजा माना जाता है क्योकिं इसने चोल सम्राज्य को विस्तार करने में अपना महत्पूर्ण योगदान दिया था.
Ponniyin Selvan Story in Hindi
Ponniyin Selvan एक तमिल उपन्यास है जिसे कल्की कृष्णमूर्ति ने 1950 में लिखा था यह उपन्यास मुख्य रूप से तमिल भाषा में लिखा गया है इसका अनुवाद करके Ponniyin Selvan English Book को बनाया गया है परंतु अभी तक इस उपन्यास को हिंदी भाषा में अनुवाद नहीं किया गया है परंतु मैं आपको इस लेख में Ponniyin Selvan Real Story को हिंदी में बताने का प्रयास किया हूं.
आदित्य करीकाल नामक राजा की ओर से अरुल्मोज्हिवर्मन नामक युवराज को राजा और राजकुमारी को संदेश देने के लिए चोल देश में भेजा जाता है जिसके आसपास वन्दियाठेवन घूमती है.वन्दियाठेवन चोल देश और युवा राजकुमार पोनियन सेल्विन की श्रीलंका यात्रा के दौरान भ्रमण करती है.
वहीं दूसरी ओर परान्तक चोल के दूसरे बेटे गंदारादितय को राजा बनाया गया जिनकी मृत्यु के बाद इनके भाई अरिंजय को राजा बना दिया जाता है क्योंकि इनका बेटा मदुरंथाका अभी बहुत छोटा था. परंतु अरिंजय के मृत्यु के बाद परान्तक द्वितीय सुंदर चोर को चोल वंश का राजा बना दिया जाता है.
अरिंजय राजा के दो बेटे और एक बेटी थी. इन के बेटों का नाम आदित्य करिकालन और अरुल्मोज्ही वर्मन था तथा बेटी का नाम कुंदवई था.
पोनियन सेल्विन उपन्यास के कहानी की शुरु में ही राजा सुन्दर चोल को बीमार और अपाहिज दिखाया गया है। जबकि राजा आदित्य करिकालन उत्तरी कमान के जनरल है जो कांची में रहते है और अरुल्मोज्हिवर्मन युद्ध के लिए श्रीलंका में है जिसके कारण उनकी बहन कुंदवई अकेली है इसलिये यह पिरात्ति पज्हयारै नामक चोल राजा के घर में रहती हैं.
भले ही पोनियन सेल्विन पुस्तक का शीर्षक है परन्तु पुस्तक का नायक वन्दियाठेवन है जो आदित्य करिकालन का दोस्त है.पेरिया पज्हवेत्तुरायर एक चांसलर है जो साठ साल की उम्र में नंदिनी से शादी करता है.
कुंदवई देवी को जब चोल वंश के साजिश के बारे में पता चलता है तो वह वन्दियाठेवन को अरुल्मोज्हिवर्मन के लिए तुरंत वापस आने का एक संदेश लेकर श्रीलंका भेजती हैं.
वन्दियाठेवन,पून्कुज्हाली की मदद से श्रीलंका में पहुंचता है और अरुल्मोज्हिवर्मन का दोस्त बन जाता है और अपना संदेश बताता है.जिसको सुनकर वह श्रीलंका से अपने घर की ओर चल देता है.
जब अरुल्मोज्हिवर्मन (राज राजा ),श्रीलंका से वापस आते समय एक चक्रवात में फंस जाता है और गायब हो जाता है. जिसके कारण चरों ओर अफवाह फैल जाती है कि अरुल्मोज्हिवर्मन वह मर चुका है, लेकिन वह जीवित होता है और एक बौद्ध मठ में रहता है जिसका नाम चूड़ामणि विहारं है जो नागपट्टिनम में स्थित है.
इस बीच षड़यंत्रकारी एक दिन का चयन करते है जिस दिन राजा और उनके पुत्रों दोनों की हत्या कर दी जाएगी.
अब सवाल यह है की क्या षड़यंत्रकारी सुन्दर चोल की हत्या करने और मधुरंथाका को राजा के रूप में सिंहासन पर बैठाने में सफल हो जायेंगे या अरुल्मोज्हिवर्मन को राजा का ताज पहनाया जाएगा? इन्हीं सवालों पर पोनियन सेल्विन की कहानी पाचवें दिन समाप्त हो जाती है.
Ponniyin Selvan किस वंश की कहानी है ?
पोनियन सेल्विन दक्षिण भारत की एक प्रमुख राजवंश के ऊपर बनी है जिसका नाम चोल वंश था. चोल वंश के संस्थापक विजयालय को माना जाता है जिसने चोल वंश की नीवं 850 ईसवी में रखा था इस शासक ने अपनी राजधानी तंजौर को बनाया था.
विजयालय के वंशज में अरुल्मोज्हिवर्मन नाम का एक युवा राजकुमार था जो आगे चलकर राज राजा के नाम से प्रसिद्ध हुआ. इसी के आधार पर Ponniyin Selvan Book को बनाया गया है. कहानी को कल्की कृष्णमूर्ति के द्वारा तमिल भाषा में लिखा गया है.
परंतु इसका शीर्षक पोनियन सेल्विन है एक रहस्यमई कहानी पर आधारित है जिसमें यह बताया गया है कि राज राजा कावेरी नदी में गिर गया था जिसको खुद कावेरी ने बचा लिया तब से राज राजा को पोनियन सेल्विन की उपाधि दी गई जिसका अर्थ कावेरी का पुत्र होता है. आगे इस लेख में चोल वंश से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है.
चोल राजवंश के सभी राजाओं के नाम
चोल वंश के सभी राजाओं के नाम और उनके शासन काल को एक क्रम में दिया गया है इस पोस्ट में निचे एक Download लिंक दिया गया है जिस पर आप क्लिक करके ponniyin selvan book को फ्री में डाउनलोडकर सकते है.
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आरिंज्य राजा के बाद आने वाला शासक के नाम और उनका कार्य काल फोटो में दिया गया है –

रामराज प्रथम का विशेष उल्लेख महाकाव्य सिलप्पदिकारा में किया गया है. वह चोल साम्राज्य के उन स्थापकों में से एक थे, जिन्होंने इसे एक बहुत शक्तिशाली राज्य बनाया था जिसके बेटों के नाम निचे फोटो में दिया गया है

राजेन्द्र प्रथम को चोल साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक माना जाता है जो चोल वंश में 1012 से 1044 ईसा तक शासन करता किया था इन्होने विविध कला और संस्कृति के क्षेत्र में अपनी प्रभावशाली योगदान दिया.इनके बाद के शासक का नाम निचे दिया गया

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